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Shani Dev Ki Aarti

    Shani Dev Ki Aarti

    Shri Shani Dev Ki Aarti Hindi

    जय जय श्री शनिदेवभक्तन हितकारी।
    सूरज के पुत्र प्रभुछाया महतारी॥
    जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥

    श्याम अंग वक्र-दृ‍ष्टिचतुर्भुजा धारी।
    निलाम्बर धार नाथगज की असवारी॥
    जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥

    क्रीट मुकुट शीश सहजदिपत है लिलारी।
    मुक्तन की माल गलेशोभित बलिहारी॥
    जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥

    मोदक और मिष्ठान चढ़े,चढ़ती पान सुपारी।
    लोहा, तिल, तेल, उड़दमहिषी है अति प्यारी॥
    जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥

    देव दनुज ऋषि मुनिसुमिरत नर नारी।
    विश्वनाथ धरत ध्यान हमहैं शरण तुम्हारी॥
    जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥

    ||Shani Dev Aarti-2 : शनि देव आरती-2 ||

    जय शनि देवा, जय शनि देवा,
    जय जय जय शनि देवा ।
    अखिल सृष्टि में कोटि-कोटि जन,
    करें तुम्हारी सेवा ।
    जय शनि देवा, जय शनि देवा,
    जय जय जय शनि देवा ॥

    जा पर कुपित होउ तुम स्वामी,
    घोर कष्ट वह पावे ।
    धन वैभव और मान-कीर्ति,
    सब पलभर में मिट जावे ।
    राजा नल को लगी शनि दशा,
    राजपाट हर लेवा ।
    जय शनि देवा, जय शनि देवा,
    जय जय जय शनि देवा ॥

    जा पर प्रसन्न होउ तुम स्वामी,
    सकल सिद्धि वह पावे ।
    तुम्हारी कृपा रहे तो,
    उसको जग में कौन सतावे ।
    ताँबा, तेल और तिल से जो,
    करें भक्तजन सेवा ।
    जय शनि देवा, जय शनि देवा,
    जय जय जय शनि देवा ॥

    हर शनिवार तुम्हारी,
    जय-जय कार जगत में होवे ।
    कलियुग में शनिदेव महात्तम,
    दु:ख दरिद्रता धोवे ।
    करू आरती भक्ति भाव से,
    भेंट चढ़ाऊं मेवा ।
    जय शनि देवा, जय शनि देवा,
    जय जय जय शनि देवा ॥

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